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Tuesday, 5 May 2020

बेपरवाही का आलम

बेपरवाही का आलम,
कुछ यू घुलने लगा है जीवन में.....
जो ना चाहा..
वो भी होने लगा है, जीवन में....

छाई रही मदहोशी , घूमते भी मदहोश थे...
ठोकर लगी जो मुझे, आये दिन अब वो होश के..

सपनो का वो महल, लगता अब वीरान है...
खास था वो मेरा, मुझसे अब अनजान है...

आये थे तुम, चले गए ये एहसान है...
बेफिक्र है आज भी, ये मेरी पहचान है...

दोस्तो की भीड़ है, फिक्रमंद आज भी बहुत है...
साथ है उनका जो, बेपरवाह आज भी बहुत है....




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