पत्ते टूटे.. गिरे पेड़ से,
तो साख भी तो सुने हुए होंगे....
सूखे पत्तों के ढेर पर,
वो मौसम भी तो पतझड़ के होंगे...
सिर्फ पत्तो के दर्द पर शोक क्यू,
क्या पेड को ये सितम हर बार सहने होंगे...
पत्तो के शीर्ष साख से,
पेड़ो के आधार तक
कण-कण वृक्ष को प्यारा है....
टूट गया एक साख भी तो,
दर्द तनु (शरीर) समाया है...
परोपकार का पर्याय बनता,
बलिदान का वो स्वामी है...
कटता फिर भी पेड़ ये मेरा,
दुनिया की रीत पुरानी है....
तो साख भी तो सुने हुए होंगे....
सूखे पत्तों के ढेर पर,
वो मौसम भी तो पतझड़ के होंगे...
सिर्फ पत्तो के दर्द पर शोक क्यू,
क्या पेड को ये सितम हर बार सहने होंगे...
पत्तो के शीर्ष साख से,
पेड़ो के आधार तक
कण-कण वृक्ष को प्यारा है....
टूट गया एक साख भी तो,
दर्द तनु (शरीर) समाया है...
परोपकार का पर्याय बनता,
बलिदान का वो स्वामी है...
कटता फिर भी पेड़ ये मेरा,
दुनिया की रीत पुरानी है....
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