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Monday 11 May 2020

तन्हाई

यह कविता एक ऐसे आशिक़ की अवस्था को दर्शाती है जिसे उसके साथी का साथ ना मिला और वह आज भी उसे भूल नही पा रहा है और लगातार उसके बिना जीने की नाकाम कोशिश करता है। उम्मीद करता हु आपको यह रचना पसंद आएगी..... इसका शीर्षक है-

         तन्हाई

दुनिया की भीड़ में मुस्कुराते हम,
झूमते और खिलखिलाते हम...
पर...
कमबख्त ये तनहाई का गम,
करती है आंखे नम ...
फिर बस ये कहते हम.

रे यार तूने क्या किया,
चाहा फिर इनकार किया..

तड़पाया बहुत , घबराया बहुत..
भर -भर के आंसू तूने रुलाया बहुत..
तेरी याद में आज भी जीते हम,
तड़पते पर मुस्कुराते हम......

        - प्रियंक प्रवासी

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