वक़्त अजीब सा लगता है
लोग अजीबोगरीब
घर बैठे कर रहा हलतो की तफ्तीश
तस्वीरें देख सोचू ये तो मेरा दोस्त था
न जाने क्यू छूट गए क्या तब ना मुझ को होश था
में कोसू खुदको या आस पास वाले ही खाफी है
यहां तो मन की बात रखने की भी मनाही है
क्यू लड़ जाता में चोटी बातो पर
क्यू कर लेता विश्वाश अफ़्वाओ पर
क्या तब ना मुझको होश था क्या तब ना मुझको होश था
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