बेवफाई का तीर-ऐ-तरकश, ये आम हो गयाबेवफाई का तीर-ऐ-तरकश, ये आम हो गया...जख्मे दिल ऐ तीर के ही, गुनाहगार हो गया....कहते थे जो, जान भी देंगे इश्क़ में,मुकरे...
तो दोस्तो स्वागत है आप सभी का मेरी इस नई पोस्ट में जिसमे मेने एक motivational रचना को पोस्ट किया है जिसे मेने अपने कॉलेज के दिनों में लिखी थी।पर दोस्तो...
वक़्त अजीब सा लगता है
लोग अजीबोगरीब
घर बैठे कर रहा हलतो की तफ्तीश
तस्वीरें देख सोचू ये तो मेरा दोस्त था
न जाने क्यू छूट गए क्या तब ना मुझ को होश था
में...
क्या कर सकता हूं मैं ।
और क्या कर रहा हूं मैं ।
फर्क छोटा सा है ।
या फर्क पड़ता नहीं ।
अभी तो बैठा हूं ।
अकेले कोई साथ नहीं ।
खुद से पूछता ।
क्या रहेंगे...